कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
कैसे ढूंढें ऐसा काम जो रखे ख्याल आपके कौशल और सपनों का? जुड़िये इस special session पर आज 1.45 को!
स्तन कैंसर और उसके लक्षण के प्रति जागरूक रहें। यदि शुरुआती दिनों में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक, ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ (BCAM) चलाया जाता है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।
ब्रेस्ट कैंसर या स्तन कैंसर, फेंफडों के कैंसर के बाद, महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है। 25% महिलाओं की मृत्यु जागरूक न रहने के कारण हो जाती है। हालांकि, अगर शुरुआती दिनों में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर में, ब्रेस्ट की कोशिकाएं (Breast cells) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, जो बाद में ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। उनमें दर्द होना, सुजन होना, निप्पल को दबाने पर एक गाढ़े द्रव्य का रिसाव होना, निप्पल में खिंचाव होना, यह सब ब्रेस्ट कैंसर के शुरूआती लक्षण हैं। अंडरआर्म्स और कालर बोने के आसपास भी छोटी गांठें बननी शुरू हो जाती हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर, शर्म और लापरवाही को छोड़कर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
महिलाएं अपने ब्रेस्ट की जाँच खुद भी कर सकती हैं जिसे सेल्फ ब्रेस्ट-एक्साम (Self Breast-Exam) कहा जाता है। इसे माहवारी के 4-5 दिनों के बाद किया जाता है।
इसमें,
पर जरुरी नहीं की हर गांठ या दर्द कैंसर हो। ऐसे में डॉक्टरी सलाह बेहद जरुरी होती है।
कैंसर साबित होने पर इसकी स्टेज के अनुसार ही, इसका इलाज निर्धारित किया जाता है। सर्जरी के साथ कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और हार्मोनलथेरेपी दी जाती है। ब्रेस्ट के एक्स-रे को मैमोग्राम (Mammogram) कहा जाता है। कभी-कभी जब कैंसर पूरे स्तन में फ़ैल जाता है, (DCIS- Ductal Carcinoma in situ) तो डॉक्टर मास्टेक्टमी (Mastectomy) की सलाह देते हैं, जिसमें सर्जरी करके पूरे स्तन को हटा दिया जाता है। पर जब कैंसर, स्तन के कुछ भागों में फैला हो, तो उसे लम्पेक्टमी(Lumpectomy) के जरिये निकाल दिया जाता है। इसके साथ ही, अब स्तन को पुन: सर्जरी के माध्यम से गठित कर दिया जाता है।
पर ग्रामीण, अत्यंत पिछड़े और कई शहरी इलाकों में आज भी महिलाएं शर्म और लापरवाही के कारण अपनी सेहत से खिलवाड़ करती हैं। आज भी कई जगहों पर महिलाएं अपने अंतर्वस्त्र बाहर नहीं सुखा सकतीं क्योंकि समाज असहज हो जाता है। महिलाओं को लंबा घूँघट रखना पड़ता है, जिससे उन्हें सूर्य की रोशनी तक नहीं मिल पाती। प्राकृतिक विटामिन-डी उन्हें नहीं मिल पाती। ऐसे में क्या महिलाएं कुछ भी बताने या डॉक्टर के पास जाने से हिचकिचाती नहीं होंगी? पर महिलाओं को खुद इन सब ख्यालातों को तोड़ना होगा। शर्म या लापरवाही खुद के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है। अपने स्वास्थ्य के प्रति खुद जागरूक होना होगा। परिवारवालों की भी जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें अवसाद में जाने से बचाएं, मानसिक तौर पर महिलाओं को हिम्मत दे और समय से डॉक्टर से इलाज कराएं।
याद रखिए, शुरुआत खुद से ही करनी होगी। अपने स्वास्थ्य के साथ लापरवाही न करें।
Young Writer
स्तन कैंसर का एक बड़ा कारण है जागरूकता की कमी
8 वें वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे पर इन बातों का विशेष ध्यान रखें
विश्व कैंसर दिवस पर पढ़िए बॉलीवुड की 4 फीमेल फाइटर्स की कहानी
मुथुलक्ष्मी रेड्डी : देश की पहली महिला विधायक का रोमांचक सफर
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!