कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

गौमाता

गौमाता के कितने भक्त! पर क्या इनमे से किसी को उसकी ज़रा सी भी फ़िक्र है?

गौमाता के कितने भक्त! पर क्या इनमे से किसी को उसकी ज़रा सी भी फ़िक्र है?

गौमाता सुबह से तैयार हो के बैठी हुई है। कुछ समय बाद उनकी पूजा होनेवाली है। सवेरे सवेरे आज लाखन ग्वाले ने उनके गोरी चिट्टी तन से गोबर ओबर सब साफ करके साबुन से नहला दिया। माताजी शांत, सुशील और सुन्दर होने के नाते मंत्री जी की खास गोशाले में उनकी सबसे पसंदीदा गाय रही है।

नहाने के बाद उन्हें गेंदे और दूसरे फूलों की चार पांच मालाएँ और सिंदूर की एक बड़ी सी बिंदी से सजाई गयी है।

मंत्री जी के बुलावे पे इलाके के सबसे बड़े और नामी पुजारी,पंडित सब पधार चुके हैं। सपक्ष और विपक्ष के नेता, सरकारी अफ़सर, जानेमाने बुद्धिजीबी और पार्टी चमचों की जमघट में चहल पहल बढ़ रही है मंत्री आवास के हरे मैदान पर।

थोड़ी दूर पेड़ के साये में अपनी बछड़े के साथ चारा खा रहीं गौमाता को बड़ी श्रद्धा से पूजा स्थल में ला कर खूंटे से बांध दिया गया। हाला की पट्टा खींच कर लाने में माता को काफ़ी लगी जिसे उन्होंने चीख कर जताया भी, पर शुभ मुहूरत निकल जाने की हड़बड़ी में किसीने ध्यान नहीं दिया।

धूमधाम से पूजा शुरू हुई।उन्हें रोली और अक्षत लगाके नमन किया गया। फिरसे माला और नैवेद्य चढ़ाई गयी।

भव्य माहौल अब दिव्य बन चुका है । पुजारी मंत्र रटना शुरू किएं है। अगरबत्ती और दीपों की धुएं में पसीने से तरबतर लोग भक्ति भाव से सराबोर हो रहे है। मंडप से बाहर निमंत्रितों के लिए चाय, शरबत का फवारा बह रहा है। आंखों को मूंद, हाथों को जोड़ मंत्री जी भगवान के इस रूप से न जाने कौन कौनसी प्रार्थना में मगन है पूरे समय के पॉकेट में बज रही मोबाइल को भी नहीं उठा रहे।

इधर गौमाता खड़ी खड़ी बड़ी बेसब्री से पूजा खत्म होने का इंतज़ार कर रही है। उन्हें बड़ी चिंता हो रही है अपनी बछड़े का। भोर में दूध दुहने के बाद उन्हें नहलाने के चक्कर में बछड़ा दूध पीे नहीं सका था। अब माँ की प्यास लगी है तो वो माँ को बार बार पुकार रहा है।पर उसकी माँ यहां खूंटेे से बंधे होने के कारण उसके पास नहीं पहोंच सकती।

पूजा अभी भी जारी है। गौमाता बीच बीच में रंभा कर कभी बछड़े को दिलासा दे रही है तो कभी सबसे उनकी गले की रस्सी खूंटे सेे खोलने की मिनती कर रही है।

पर उनकी किसी भी भक्त को उनकी इतनी सी भी नहीं पड़ी है देख उदास और लाचार माताजी गले में झूल रही मालाओं को चबाने लगी।

मूल चित्र: Pixabay

About the Author

Suchetana Mukhopadhyay

Dreamer...Learner...Doer... read more...

16 Posts | 36,954 Views
All Categories